कस्टर्ड सेब की खेती
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कस्टर्ड सेब की खेती [सीताफल जिसे हम Custard Apple भी कहते हैं]
शरीफा की खेती प्रायः सभी प्रकार की मृदा (मिट्टी) में की जा सकती हैं. लेकिन दोमट मिट्टी सबसे अनुकूल
होती हैं
जल भराव वाली भूमि में इसकी खेती नहीं की जानी चाहिए .
सीताफल की खेती के लिए मिट्टी का पी.एच. मान :-----इसकी खेती के लिए मिट्टी का पी.एच. मान 5.5 से 7 के बीच होना चाहिए
उचित जलवायु और तापमान:
सभी उष्णकटिबंधीय (Tropical)व उपोष्णकटिबंधीय (Subtropical)देशों में पैदा होता हैं. . इसके पौधे गर्म क्षेत्रों में आसानी से विकसित होते हैं ,लेकिन लंबे समय तक और तेज सर्दी वाला ,मौसम इसके लिए उपयुक्त नहीं होता हैं क्योंकि ठंड मे इसके फल कड़े हो जाते हैं और पकते नहीं हैं. फूल आने के समय dry climate (शुष्क मौसम )होना चाहिए लेकिन अगर40 डिग्री से ऊपर तापमान पहुंचता हैं हो फूल झड़ कर गिरने लगते हैं.
सीताफल में इसके फल वर्षा ऋतु (बरसात) में लगना शुरू हो जाते हैं
सीताफल के पौधों से आने वाली विशेष प्रकार की महक के कारण कीड़ों का आकर्षण कम होता हैं
जिससे इसमें किसी प्रकार के रोग या बीमारी न के बराबर ही होती है
सीताफल के पौधों में शुरुआत में 50-60 के आसपास फल आते हैं जो समय के साथ बढ़कर 100 तक हो जाते हैं, एक एकड़ में इसके 500 के करीब पौधे लगाए जा सकते हैं,
जिनसे सीताफल की सालाना 30-35 क्विंटल के आसपास पैदावार हो जाती हैं. सामान्यतः सीताफल
का बाजार भाव 40 रुपयों के आसपास पाया जाता हैं
पौधों की सिंचाई:
सितफल के पौधे को काफी कम सिंचाई
की जरूरत होती हैं परंतु फिर भी एक माह में एक बार सिंचाई कर देनी चाहिए, गर्मी के मौसम
में 15 दिन के अंतराल में सिंचाई करे.
सीताफल की उन्नत किस्में बालानगर ,अर्का सहान
हमेशा कलमी पौधों को ही लगना चाहिए क्योंकि सीताफल की कलम से तैयार किया गए पौधों के फल
2 वर्ष बाद से आना शुरू हो जाते हैं
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